झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की मतगणना की घड़ी अब करीब आ गई है। 23 नवंबर, शनिवार, वह ऐतिहासिक दिन होगा, जब हुसैनाबाद समेत झारखंड की सभी सीटों पर चुनावी नतीजों का खुलासा होगा। 18 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद है, और इस दिन यह रहस्य खुलेगा कि जनता ने किसे अपना प्रतिनिधि चुना है।
कयामत की रात, प्रत्याशियों और समर्थकों के लिए परीक्षा की घड़ी
शुक्रवार की रात, सभी प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लिए बेचैनी और उम्मीदों से भरी होगी। यह रात कुछ के लिए कयामत बनकर आएगी, तो कुछ के लिए उम्मीदों का सूरज लेकर। 17 प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ेगा, और केवल एक प्रत्याशी पर जनता का आशीर्वाद बरसेगा। इस स्थिति ने पूरे हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र में उत्सुकता और तनाव का माहौल बना दिया है।
मोदी बनाम झारखंडी टोटका, किसका दबदबा?
इस बार का चुनाव राज्य और केंद्र की राजनीति के बीच सीधी टक्कर की तरह देखा जा रहा है। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा एक बार फिर भाजपा के पक्ष में वोटरों को आकर्षित करेगा, या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सहयोगी कल्पना की झारखंडी रणनीति और स्थानीय मुद्दे अपना असर दिखाएंगे? यह सवाल हर राजनीतिक विश्लेषक और मतदाता के मन में है।
हुसैनाबाद का चुनावी समीकरण
हुसैनाबाद में 18 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई है। इस क्षेत्र में विकास, रोजगार और हुसैनाबाद का नाम बदलकर जिला बनाने के मुद्दे प्रमुख रहे हैं।चुनाव परिणाम हुसैनाबाद का राजनीतिक इतिहास भी बदल सकता है। मसलन हुसैनाबाद में 1952 से लेकर अब तक 15 चुनाव हुए हैं जिसमें दलबदलू प्रत्याशी की जीत कभी नहीं हुई है।साथ ही स्व. हरिहर सिंह को छोड़कर अभी तक लगातार दूसरी बार कोई भी विधायक यहां रिपीट नहीं हुआ है। अब अगर इसबार मोदी मैजिक चल गया तो हुसैनाबाद में दो पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त हो जायेंगे।साथ वर्तमान विधायक कमलेश कुमार सिंह लगातार तो नहीं,किन्तु हरिहर बाबू के बाद तीन बार विधायक रहने का अवसर मिल जाएगा। अगर परिणाम इंडिया गठबंधन के पक्ष में रहा तो तीन बार विधायक रहने का सौभाग्य राजद के संजय कुमार सिंह यादव को मिल सकता है। अगर परिणाम चौंकानेवाला हुआ तो 1972 के चुनाव में निर्दलीय जीते अवधेश बाबू के बाद यह रिकॉर्ड भाजपा के बागी व निर्दलीय प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह के नाम दर्ज हो सकता है। इसके अलावे हुसैनाबाद से अगर बसपा के कुशवाहा शिवपूजन मेहता चुनाव जीतते हैं तो भी पहले का रिकॉर्ड टूट जाएगा कि पहली बार कोई दलबदलू प्रत्याशी हुसैनाबाद से चुनाव जीतेगा ! लेकिन, यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता ने किसे इन मुद्दों के समाधान के लिए सबसे उपयुक्त समझा।
शनिवार की सुबह लेकर आएगी नया भविष्य
23 नवंबर का दिन न केवल हुसैनाबाद, बल्कि पूरे झारखंड के लिए अहम होगा। चुनाव परिणाम यह तय करेंगे कि राज्य की सत्ता किसके हाथों में होगी। यह दिन यह भी साबित करेगा कि जनता ने किस पर भरोसा जताया है—राष्ट्रीय स्तर की भाजपा या झारखंडी हितों पर केंद्रित हेमंत सोरेन की पार्टी।अब सवाल यह है कि शनिवार को किसकी किस्मत चमकेगी और किसके लिए यह दिन राजनीति का काला अध्याय साबित होगा? झारखंड की जनता अपने निर्णय से इतिहास रचने को तैयार है।
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