पलामू। कल सावन की पूर्णिमा है,सावन मास की समाप्ति। सनातन संस्कृति,प्रकृति प्रेमियों,श्रृंगार रस के कवियों और न्योंढ़ा युवतियों के लिए सावन रोमानी महीना है। हरियाली बरबस सब के मन को आकर्षित करती है। इतिहास साहित्य और शास्त्र में सावन के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा को विशेष महत्व है। इस दिन भाई बहन के जीवन भर हिफाजत करने के वादा का दिन है इसलिए सांकेतिक रूप से बहन भाई के कलाई पर धागा बांध कर वचन लेती है जिसे हम सभी रक्षाबंधन के नाम से जानते हैं।
संत मरियम विद्यालय के बच्चों को राखी के पर्व के मर्म को बोध कराने के लिए छुट्टी के पूर्व दिवस पर रक्षाबंधन उत्सव का आयोजन किए। बच्चों ने हमारे कलाई पर राखी बांध कर जश्न मनाया। बेटियों ने अपने धर्म भाइयों को हाथ में राखी बांध कर आरती उतारी और मिठाई खिला कर रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दी। हमने बच्चों व शिक्षकों को संबोधित करते राखी के त्यौहार पर प्रकाश डाला। हमने कहा भारतवर्ष पूरी दुनिया में सांस्कृतिक रूप से बहुत ही समृद्ध है। यहां का त्यौहार किसी एक वर्ग समुदाय का नहीं रहता है सभी मिल कर सेलिब्रेट करते हैं। भारत के संस्कृति का असर यह है कि जो भी विदेशी मुल्क से हिंदुस्तान आया यहीं के होकर रह गया। ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती,निवेदिता,फादर कामिल बुल्के,मदर टेरेसा,एक लंबी फेहरिस्त है। यह तब संभव हुआ जब आपके जैसे विद्यार्थी पूर्ण मनोयोग से पढ़ा और भगत सिंह विवेकानंद गांधी गौतम के परंपरा को आगे बढ़ाया। भारत की हर नारी मेरी मां है हर बेटी मेरी बहन है के मन में धरना लेकर आगे बढ़ेंगे तो हर पर्व हर त्यौहार की सार्थकता रहेगी और भारत का परचम धरती पर नहीं नील गगन में फहरेगा। मौके पर उप-प्राचार्य एस.बी. साहा समन्वयक एकता सहाय, शिक्षक- शिक्षिकाएं समेत सैकड़ो बच्चे मौजूद थे।
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