पलामू। ईश्वर का महान प्रसाद है मानव जीवन। हमारे भीतर अनन्त की शक्ति है, अनन्त आनन्द का श्रोत है। आत्मा के अंदर अन्तरात्मा रूप से ईश्वर ही विराजमान है। आवश्यकता है आध्यामिक ज्ञान की , स्वर्वेद सद्ज्ञान की, विहंगम योग के ध्यान की, जिसके आलोक में एक साधक का जीवन सर्वोन्मुखी विकास होता है।उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के तहत शहर के बीसफूटा पुल के समीप बैजनाथ सिंह सेवाश्रम परिसर में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में शामिल भक्तजनों एवं श्रद्धालुओं के बीच व्यक्त किये।संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज ने कहा कि आज मन पर नियंत्रण न होने से समाज में विसंगतियाँ बढ़ रहीं हैं। युनेस्को की एक प्रस्तावना कहती है कि युद्ध की प्राचीरें कुत्सित मन से निकलती हैं। अतः मन पर नियंत्रण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारे मन में असीम शक्ति है। ईश्वर ने हमें बड़ी शक्तियों वाला अन्तःकरण दिया है। मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती। मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है।उन्होंने जय स्वर्वेद कथा के क्रम में कहा कि भारत की आत्मा का नाम अध्यात्म है। आध्यात्मिक महापुरुषों के बदौलत ही भारत विश्व गुरु रहा है, विश्वगुरु है और मैं कहता हूं भारत विश्व गुरु रहेगा। संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया। कहा कि यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है।संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई । स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।दिव्यवाणी के पश्चात मुख्य आगंतुकों को संत प्रवर जी के हाथों विहंगम योग का प्रधान सद्ग्रन्थ स्वर्वेद भेंट किया गया। आयोजकों ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारोह महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 7 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कन्याकुमारी की धरती से हो चुका है। संकल्प यात्रा के प्रथम चरण में दक्षिणभारत के सभी राज्यों के विभिन्न शहरों के पश्चात छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, बिहार के बाद झारखण्ड के गढ़वा होते हुए आज डालटनगंज पलामू में पहुँच चुकी है।6 एवं 7दिसंबर 2024 को विशालतम ध्यान - साधना केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है। उसी क्रम में यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले।इस अवसर पर प्रमुख रूप से संस्थान के झारखंड परामर्शक सुरेन्द्र सिँह,महामंत्री ललित सिंह,रामचंद्र तिवारी,अखिलेश शर्मा,उपेंद्र मिश्रा,मनोरमा द्विवेदी,एस एन शर्मा,गिरिजा प्रसाद सिंह,भानु प्रताप देव,बनारसी प्रसाद यादव,यशवंत सिंह,राकेश पाठक,महेंद्र यादव, चंदन,अमरेंद्र,विशुनदेव मेहता,शंभू कुमार,किशोर पासवान सहित काफी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
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