भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव सह राष्ट्रीय परिषद सदस्य रुचिर कुमार तिवारी ने कहा कि केंद्रीय कारा मेदिनीनगर जेल में बंद कैदी कुंदन कुमार पांडे की मौत को संदेश के घेर को पैदा करती है उन्होंने कहा कि जेल के कैदी की अचानक तबीयत खराब हो जाती है और उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है जहां मौत हो जाती है यह कहना सरासर गलत है उस कैदी की मृत्यु अस्पताल में पहुंचने से पहले ही हो गई थी मेदिनीनगर नगर केंद्रीय कारा के कारा अधीक्षक के द्वारा घोर लापरवाही बरता गया है इस प्रकार के मामला पहले भी हुआ है और जेल में बंद कैदी जब बीमार पड़ते हैं उनका इलाज की आवश्यकता पड़ती है इसके बावजूद भी तुरंत इलाज करने के लिए उनको बाहर नहीं भेजा जाता है यहां तक की न्यायालय के कहने के बावजूद लेट से कैदियों को इलाज के लिए अस्पताल में भेजा जाता है जिसके कारण वह असमय मौत का शिकार हो जाते हैं ऐसा ही एक मामला सत्र वाद संख्या -- 621 /2023 का है जिसमें एक अभियुक्त को बहुत ही विलंब से न्यायालय के आदेश के बाद भी फोन करने पर जेल अधीक्षक के द्वारा इलाज करने के लिए भेजा गया उसकी जान तो बच गई लेकिन कितने कैदियों की असमय इलाज के अभाव में केंद्रीय कारा अफसर और अन्य पदाधिकारी के चारागाह का अड्डा बना हुआ है यही नहीं न्यायालय से आदेश होने के बाद भी जो भी अभियुक्त जेल में बंद है आधार कार्ड नहीं बनने के कारण उनका जमानत नहीं हुआ वैसे अभियुक्त को भी जेल प्रबंधन ने अभी तक आधार कार्ड नहीं बनवाया जिस अभियुक्त का नाम सुनील कुमार है इस प्रकार से यह देखा जाता है कि लगातार पलामू पुलिस जेल के अंदर कैदियों के साथ लापरवाही बरत रही है एवं जानवरों जैसा सलूक करते है यह सीधा सीधा मानवाधिकार का हनन है अभिलंब इस मामले की जांच सीबीआई से होनी चाहिए और दोषी जेल अधीक्षक सहित पुलिस पदाधिकारी का निलंबन होना चाहिए साथ ही साथ उन पर आपराधिक मामला भी दर्ज होनी चाहिए।
Tags
पलामू